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हड़प्पा सभ्यता सम्पूर्ण विश्व के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा में इतिहास के टॉपिक में इस टॉपिक से एक न एक प्रश्न अवश्य रहता है ।

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  • सिन्धु सभ्यता की खोज 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी ने की
  • सिन्धु सभ्यता को आध ऐतिहासिक (Protohistoric) अथवा कांस्य (Bronze) युग में रखा जा कता हैइस सभ्यता के मख्य निवासी द्रविड़ एवं भूमध्य सागरीय थे। 
  • सर जान मार्शल (भारतीपुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तत्कालीन महानिदेशक) ने 1924 . में सिन्धु घाटी सभ्यता नामक एक उन्नत नगरीय सभ्यता पाए जाने की विधिवत घोषणा की
  • सिन्धु सभ्यता के सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल दाश्क नदी के किनारे स्थित सुतकागेडोर (बलूचिस्तान), पूर्वी पुरास्थल हिण्डन नदी के किनारे आलमगीरपुर (जिला मेरठ, उत्तर प्र.), उत्तरी पुरास्थल चिनाव नदी के तट पर अखनूर के निकट माँदा (जम्मूकश्मीर) दक्षिणी पुरास्थल गोदावरी नदी के तट पर दाइमाबाद (जिला अहमदनगर, महाराष्ट्र)
  • सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी सैंधव सभ्यता से प्राप्त परिपक्व अवस्था वाले स्थलों में केव6 को ही बड़े नगर की संज्ञा दी गयी है; ये हैंमोहनजोदड़ो, हड़प्पा, णवारीवालाधौलावीरा, राखीगढ़ी वं कालीबंगन
  •  स्वतंत्रताप्राप्ति पश्चात् हड़प्पा संस्कृति के सर्वाधिस्थल गुजरात में खोजे गये हैं
  •  सिन्धु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल मोहनजोदड़ो हैं, जबकि भारत 
  • में इसका सबसे बड़ा स्थल राखीगढ़ी (घग्घर नदी) है जो हरियाणा के हिसार जिला में स्थित हैइसकी खोज 1963 . में सूरजभान ने की थी
  •  लोथल एवं सुतकोतदासिन्धु सभ्यता का बन्दरगाह था
  • जुते हुए खेत और नक्काशीदार ईंटों के प्रयोग का साक्ष्य कालीबंगन से प्राप्त हुआ है
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त स्नानागार संभवतः सैंधव सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है, जिसके मध्य स्थित स्नानकुंड 11.88 मीटर लम्बा, 7.01 मीटर चौड़ा वं 2.43 मीटर गहरा है
  • अग्निकुण्ड लोथल एवं कालीबंगन से प्राप्त हुए हैं
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक शील पर तीन मुख वाले देवता (शुपति नाथ) की मूर्ति मिली हैउनके चारों ओर हाथी, गैंडा, चीता एवं भैंसा विराजमान हैं
  • मोहनजोदड़ो से नर्तकी की एक कांस्य मूर्ति मिली है
  • हड़प्पा की मोहरों पर सबसे अधिक एक शृंगी शु का अंकमिलता हैयहाँ से प्राप्त एक आयताकामुहर में स्त्री के गर्भ से निकलता पौधा दिखाया गया है
  • मनके बनाने के कारखाने लोथल एवं चन्हूदड़ो में मिले हैं। 
  • सिन्धु सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक हैयह लिपि दायीं से बायी ओर लिखी जाती थीजब अभिलेख एक से धिक पंक्तियों का होता था तो पहली पंक्ति दायीं से बायीं और दूसरी बायीं से दायी ओर लिखी जाती थी
  • लेखनकला की उचित प्रणाली विकसित करने वाली पहली सभ्यता सुमेरिया की सभ्यता थी
  •  सिन्धु सभ्यता के लोगों ने नगरों तथा घरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपना
  • घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ सड़क की ओर खुलकर पिछवाई की ओर खुलते थेकेवल लोथनगर के घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर खुलते थे। 
  • सिन्धु सभ्यता में मुख्य फसल थी—गेहूँ और जौ
  • सैंधव वासी मिठास के लिए शहद का प्रयोग करते थे
  • मिट्टी से बने हल का साक्ष्य बनवाली से मिला है। 
  • रंगपुर एवं लोथल से चावके दाने मिले हैं, जिनसे धान की खेती होने का प्रमाण मिलता हैचावल के प्रथम साक्ष्य लोथल से ही प्राप्त हुए हैं। 
  • प्रमुख स्थल  नदी  स्थिति  उत्खननकर्ता
    हड़प्पा रावी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का साहीवाल जिला दयाराम साहनी (1921), माधोस्वरूप वत्स (1926), व्हीलर (1946)
    मोहनजोदड़ो सिन्धु पाकिस्तान के सिंध प्रांत का लरकाना जिला राखालदास बनर्जी (1922), मेके (1927), व्हीलर (1930)
    चन्हूदड़ो  सिन्धु सिंध प्रांत (पाकिस्तान) नबाब शाह जिला मैके (1925), एन.जी.मजुमदार (1931)
    कालीबंगन घग्घर राजस्थान का हनुमानगढ़ जिला  अमलानंद घोष (1951), बी.वी.लाल एवं बी.के. थापर (1961)
    कोटदीजी सिन्धु सिंध प्रांत का खैरपुर स्थान 

     

    फजल अहमद (1953)
    रंगपुर मादर गुजरात का काठियावाड़ जिला  रंगनाथ राव (1953-54)
    रोपड़  सतलज पजाब का रोपड़ जिला  यज्ञदत शर्मा (1953-56)
    लोथल भोगवा गुजरात का अहमदाबाद जिला  रंगनाथ राव (1954)
    आलमगीरपुर हिन्डन उत्तर प्रदेश का मेरठ जिला  यज्ञदत्त शर्मा (1958)
    सुतकांगेडोर दाश्क पाकिस्तान के मकरान में समुद्र तट के किनारे रिल स्टाइन (1927) 
    बनमाली रंगोई हरियाणा का हिसार जिला  रवीन्द्र सिंह विष्ट (1974)
    धोलावीरा लुनी गुजरात के कच्छ जिला

     

    J.P. JOSHI(1967-68)

    RAVINDER SINGH BISHT(1990-91)

  • सैंधववासी सूती एवं ऊनी वस्त्रों का प्रयोग करते थे। 
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    मनोरंजन के लिए सैंधववासी मछली पकड़ना, शिकार करना, पशुपक्षियों को पस में लड़ाना, चौपड़ और पासा खेलना आदि साधनों का प्रयोग करते थे

  •  सिन्धु सभ्यता के लोकाले रंग से डिजाइन किये हुए लाल मिट्टी के बर्तन बनाते थे
  • सिन्धु घाटी के लोग तलवार से परिचित नहीं थे
  • कालीबंगन एक मात्र हड़प्पाकालीन स्थल था, जिसका निचला शह(सामान्य लोगों के रहने हेतु) भी किले से घिरा हुआ थाकालीबंगन का अर्थ है काली चूड़ियाँ यहाँ से पूर्व हड़प्पा स्तरों के खेजोते जाने के और अग्निपूजा की प्रथा के प्रमाण मिले हैं
  • पर्दाप्रथा एवं वेश्यावृति सैंधव सभ्यता में प्रचलित थी
  • शवों को लाने एवं गाड़ने यानी दोनों प्रथाएँ प्रचलिथींहड़प्पा में शवों को दफनाने जबकि मोहनजोदड़ो में जलाने की प्रथा विद्यमान थीलोथल एवं कालीबंगा में युग्म समाधियाँ मिली हैं
  • संधव सभ्यता के विनाश का संभवतः सबसे प्रभावी कारण बाढ़ था
  • आग में की हई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता है
  • पिग्गट ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को विस्तृत साम्राज्य की जुड़वाँ राजधानी कहा है।
  • सिन्धु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा किया करते थे।
  • वृक्ष-पूजा एवं शिव-पूजा के प्रचलन के साक्ष्य भी सिन्धु सभ्यता से मिलते हैं।
  • स्वास्तिक चिह्न संभवतः हड़प्पा सभ्यता की देन है। इस चिह्न से सूर्योपासना का अनुमान लगाया जाता है।
  • सिन्धु घाटी के नगरों में किसी भी मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं।
  • सिन्धु सभ्यता में मातृदेवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी।
  • पशुओं में कुबड़ वाला साँड़, इस सभ्यता के लोगों के लिए विशेष पूजनीय था।
  • स्त्री मृण्मूर्तियाँ (मिट्टी की मूर्तियाँ) अधिक मिलने से ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि सैंधव समाज मातृसत्तात्मक था।
  • सिन्धु काल में विदेशी व्यापार:
  • आयातित वस्तुए                            –    प्रदेश
    ताम्बा              – खेतड़ी, बलूचिस्तान, ओमान
    चाँदी                –अफगानिस्तान, ईरान
    सोना                 –कर्नाट, अफगानिस्तान, ईरान
    टिन                  –अफगानिस्तान, ईरान 
    गोमेद                – सौराष्ट्र
    लाजवर्त              – मेसोपोटामिया
    सीसा                   – ईरान

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