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India is one of the few countries where capital punishment is legal and is justified under the rarest of the rare doctrine. However, it is not just the execution in principle but the process of execution which matters. Discuss (10 Marks) ATTORNEY GENERAL OF INDIA-DUTIES AND FUNCTIONS

सामाजिक एवं  धार्मिक सुधर आंदोलन के इस टॉपिक  में 18वी सदी के उत्तरार्ध से 1850 तक के प्रमुख सुधर आंदोलनों की चर्चा की गयी है

अब तक के अनुभव से ये देखा गया है की हरेक प्रतियोगिता परीक्षा में एक से दो प्रश्न इससे सम्बंधित रहते है ।

र्ष / काल आंदोलन का नाम संस्थापक एवं सम्बद्ध व्यक्ति प्रकृति , उद्देश्य एवं कार्य
19वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में

 

स्वामी नारायण सम्प्रदाय, गुजरात स्वामी सहजानंद (मूल नाम घनश्याम)` 1781-1830 ईश्वर की अवधारणा में विश्वास, वैष्णव धर्म की भोगवादी रीतियों का विरोध, नैतिक आचार संहिता का निर्माण ।
18वीं शताब्दी के उतरार्द्ध एवं 19वीं शताब्दी के पूवार्द्ध में

 

राजा राममोहन राय (1772 1833)- संस्थापक; देवेंद्रनाथ टैगोर (कालांतर में आदि ब्रह्म समाज का गठन); केशव चंद्र सेन कालांतर में भारतीय ब्रह्म समाज से जुड़ गये (इसके अनुयायियों ने आगे चलकर साधारण ब्रह्म समाज का गठन कर लिया) एकेश्वरवाद का प्रचार, एकांतवाद का प्रचार,

अवतारवाद, ध्यान, त्याग, ब्राहाण वर्ग, मूर्तिपूजा का अंधविश्वास तथा सती प्रथा का विरोध, हिंदू धर्म की र में करीतियों को दूर करने का प्रयास, राजा राममोहन राय गये द्वारा प्रकाशित पत्र-पत्रिकायें-संवाद कौमुदी (1821), कर मिरात-उल-अरब्बार, देवेंद्रनाथ टैगोर द्वारा प्रकाशित कर पत्र-पत्रिकाएं तत्वबोधिनी पत्रिका, केशवचंद्र सेन द्वारा-इंडियन मिरर, साधारण ब्रह्म समाज द्वारा-तत्व कौमुदी, द इंडियन मैसेंजरद संजीवनी. द नवभारत. प्रवासी।

 

1815-1826-1831 आत्मीय सभा कलकत्ता यंग बंगाल आंदोलन हेनरी लुइस विवियन डिरोजिओ (संस्थापक),रसिक कृष्ण मलिक, ताराचंद्र चक्रवर्ती, कृष्णमोहन बनर्जी

 

एकेश्वरवाद का प्रचार, हिंदू धर्म की बुराइयों पर प्रहार, लेक, सामाजिक कुरीतियों की आलोचना, सत्य,

तक एवं स्वतंत्रता में विश्वास, इन्होंने एक पत्र प्रकाशित किया तथा ‘सोसायटी फार एक्वीजीशन एण्ड जनरल नॉलेज की स्थापना की (डेरोजियो ने

हेस्पेरस तथा द कलकत्ता लाइब्रेरी गजट का सम्पादन किया, वे काफी समय तक इंडिया गजट से भी सम्बद्ध

1829-30 धर्मसभा राधाकांत देव (17941876) संस्थापक ब्रह्म समाज का विरोध, हिंदू कट्टरवाद का मर्थन, पाश्चात्य शिक्षा का समर्थन एवं उसके प्रसार में सहायता
19वीं शताब्दी, 1820 में स्थापित (1870 में ब्रिटिश सरकार की मनकारी नीतियों 

का शिकार)

वहाबी आंदोलन, रोहिलखण्ड में प्रारंभ काबुल,उत्तर पश्चिम सीमा प्रां, बंगाल एवं मध्य प्रांत में कई शाखाएं खुली, उत्तरप्रदेश सीमा प्रांत के सिताना में मुख्यालय 

की स्थापना (1850 में)

राय बरेली के सैय्यद अहमद (संस्थापक) विलायत ली, शाह मुहम्मद हुसैन, फरहत हुसैन (सभी पटना के), इनायत अली वली उल्लाह के उपदेशों एवं शिक्षाओं को लोकप्रिय बनाने का प्रयास, अंग्रेजों का विरोध तथा सिखों से युद्ध, धर्म की व्यक्तिगत व्याख्या पर जोर
1839 तयूनी आंदोलन; ढाका करामत अली जौनपुरी  शाह वलीउल्लाह की धार्मिक शिक्षाएं प्रमुख आधार, फराजी आंदोलन का विरोध
1839 तत्वबोधिनी; कलकत्ता  देवेंद्रनाथ टैगोर राजा राममोहन राय के विचारों का समर्थएवं उनका 

प्रचारप्रसार

1841-71 नामधारी या कूका आंदोल(सिखों का); उत्तर प्रदेश सीमांत प्रांत भाइनी (पंजाब के लुधियाना जिले में स्थित) भाई बालक सिंह एवं राम सिंह (संस्थापक)  सिखों के सामाजिक एवं धार्मिक सुधार के प्रयास

भक्ति एवं शुद्धता पर बल 

1848 स्टुडेंट लिटरेरी एंड साइंटिफिक सोसाइटी ———————– सामाजिक प्रश्नों पर बहस, विज्ञान को लोकप्रिय बनाने का प्रयास

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