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Briefly explain the major provisions of the Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021. Also, highlight the social media intermediaries’ concerns regarding these rules After 62 years of signing the Indus waters treaty, India has moved to amend this treaty with Pakistan. Discuss the reasons for this pathbreaking intention of India to modify the treaty with implications on India-Pakistan relations further.
  1. एनएसएफ डेटाबेस के अनुसार, भारत को वैज्ञानिक प्रकाशन में दुनिया में तीसरा स्थान दिया गया है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) के अनुसार, भारत शीर्ष 50 नवोन्मेषी अर्थव्यवस्थाओं में वैश्विक स्तर पर 48 वें पायदान पर रहा है। वहीं, भारत उच्च शिक्षा प्रणाली के बढ़ते दायरे, पीएचडी की संख्या और नए स्टार्टअप्स के मामले में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।
  2. भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। यह भारत की विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रगति को मान्यता दिए जाने के साथ एक और उल्लेखनीय उपलब्धि भी है।
  3. पहला सुपर कंप्यूटर परम शिवाय था, जिसे आईआईटी बीएचयू में स्थापित किया गया था, इसके बाद आईआईटी-खड़गपुर और आईआईएसईआर, पुणे में क्रमशः परम शक्ति और परम ब्रह्मा स्थापित किए गए थे। इसके बाद दो और संस्थानों में ये सुविधाएं स्थापित की गईं। साथ ही 13 और संस्थानों को यह सुविधा देने के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। परम सिद्धि उच्च प्रदर्शन करने वाला कंप्यूटिंग-आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस है, जिसने शीर्ष 500 सबसे शक्तिशाली गैर-वितरित कंप्यूटर प्रणालियों में 63वीं वैश्विक रैंकिंग हासिल की।
  4. परिष्कृत विश्लेषणात्मक और तकनीकी सहायता संस्थान (साथी) केंद्रों को आम सेवाओं का उच्च-स्तरीय विश्लेषणात्मक परीक्षण प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है।

 

  1. भारत के राष्ट्रपति ने पहली बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) मनाया। विज्ञान दिवस28 फरवरी को सर सी.वी. द्वारा ‘रमन इफेक्ट’ की खोज को मनाने के लिए मनाया जाता है। डॉ. रमन को 1930 में इस खोज के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
  2. डीएसटी द्वारा शुरू की गई एक अभिनव पायलट परियोजना जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (जीएटीआई) ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में लिंग समानताको बढ़ावा देने के लिए हस्तक्षेप शुरू किया।
  3. कृषि अवशेषों के जलने और जंगल की आग से उत्पन्न ब्लैक कार्बन गंगोत्री ग्लेशियर के पिघलने पर असर डाल सकता है।एक अध्ययन के अनुसार गर्मी के मौसम में गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र में ब्लैक कार्बन की सांद्रता 400 गुना बढ़ जाती है। इस मौसमी वृद्धि के पीछे का कारण कृषि अवशेषों के जलना और जंगल की आग है।
  1.  विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत तिरुवंतपुरम स्थित एक राष्ट्रीय महत्व के संस्थान श्री चित्रा थिरुनाल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) की शोध टीम ने दिमाग की नसों की बीमारी एन्यूरिज्म के उपचार के लिए एक अंतरकपालीय फ्लो डायवर्टर स्टेंट विकसित किया है। यह जानवरों में प्रयोग के लिए तैयार है। इसके बाद इसका मानव परीक्षण किया जाएगा।
  2. कार्बनिक आभासी संधारित्र के लिए स्थायी वस्तु कर सकती है कम लागत में ऊर्जा भंडारण समाधान

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान मोहाली स्थित नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी) के वैज्ञानिकों ने आभासी संधारित्र (सूडोकैपेसिटर) या सुपर कैपेसिटर के लिए एक स्थायी वस्तु ईजाद की है, जो इलेक्ट्रॉन चार्ज ट्रांसफर द्वारा विद्युत ऊर्जा को एकत्र करते हैं। कम लागत में ऊर्जा भंडारण समाधान वाली यह वस्तु बैटरी के विकल्प के रूप में काम कर सकती है।

 

  1. किसान वैज्ञानिक द्वारा विकसित बायोफोर्टिफाइड गाजर से स्थानीय किसानों को लाभ

गुजरात में जूनागढ़ जिले के एक किसान वैज्ञानिक वल्लभभाई वासराभाई मारवानिया ने उच्च बीटा कैरोटिन और आयरन युक्त गाजर की जैव विविधता वाली किस्म मधुबन गाजर विकसित की है। इससे इस क्षेत्र के 150 से अधिक स्थानीय किसानों को लाभ हो रहा है। यह गाजर जूनागढ़ में 200 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में उगाई जा रही है। इसका औसत उत्पादन 40-50 टन प्रति हेक्टेयर है। यह गाजर स्थानीय किसानों के लिए आय का मुख्य स्रोत बन गई है। पिछले तीन वर्षों से गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश में 1000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में इस गाजर की खेती की जा रही है।

मोतियाबिंद अंधेपन का एक प्रमुख रूप है, जो तब होता है जब हमारी आंखों में लेंस बनाने वाले क्रिस्टलीय प्रोटीन की संरचना बिगड़ती है। इसमें क्षतिग्रस्त या अव्यवस्थित प्रोटीन एकत्र होकर नीली या भूरे रंग की परत बनाते हैं, जो अंतत: लेंस की पारदर्शिता को प्रभावित करता है। इसलिए इन प्रोटीन को एकत्र होने से रोकना मोतियाबिंद के इलाज केलिए एक प्रमुख उपचार है और इस कार्य को अंजाम देने वाली सामग्री मोतियाबिंद की रोकथाम को सस्ता और सुलभ बना सकती है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक प्रचलित नॉनस्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (एनएसएआईडी) एस्पिरिन से नैनोरोड विकसित किए। इसे मोतियाबिंद के इलाज में एक प्रभावी और नुकसान रहित छोटे अणु-आधारित नैनोथेरेप्यूटिक्स के खिलाफ पाया गया।

  1. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने फिट इंडिया की पहली वर्षगांठ के अवसर पर24सितंबर 2020 को वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये  05-18 वर्ष, 18-65 वर्ष और 65+ वर्ष के रूप में वर्गीकृत अलग-अलग आयु वर्ग के लिए ‘गोल्स’ (सक्रिय जीवनशैली के लिए लक्ष्य) नाम से उम्र के मुताबिक फिटनेस प्रोटोकॉल लॉन्च किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर आयोजित फिट इंडिया संवाद कार्यक्रम के दौरान विभिन्न खेल शख्सियतों, फिटनेस विशेषज्ञों और अन्य लोगों के साथ बातचीत की। इस वर्चुअल संवाद में प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री के साथ अपनी जिंदगी के अनुभवों और अपने फिटनेस मंत्र को साझा किया। केंद्रीय युवा मामले और खेल राज्यमंत्री, श्री किरेन रिजिजू ने इस समारोह की मेजबानी की।

 

  1. केंद्रीय खेल मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने25नवंबर, 2020 को “फिट इंडिया स्कूल सप्ताह” कार्यक्रम के दूसरे संस्करण का शुभारंभ किया। फिट इंडिया स्कूल सप्ताह की कल्पना 2019 में की गई थी, जिसमें बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता, शिक्षक और स्कूल स्टाफ को भी फिटनेस के बारे में जागरूकता पैदा करने की जरूरत बताई गई थी। यह अवधारणा स्वास्थ्य और फिटनेस पर आधारित किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधियों या चित्रकला प्रतियोगिता, संगोष्ठी आदि जैसे कार्यक्रमों में शामिल होकर सप्ताह में 4 से 6 दिन मनाने की है। फिट इंडिया स्कूल सप्ताह का दूसरा संस्करण 31 दिसंबर, 2020 तक जारी रहा। 5 लाख से अधिक स्कूलों ने फिट इंडिया स्कूल सप्ताह मनाया।
  2. सरकार ने हाल ही में22सितंबर 2020 को खेल कोटा के तहत केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए 20 नए विषयों की शुरुआत की है। उन खेलों की सूची जो केंद्रीय कार्यालयों में मेधावी खिलाड़ियों की नियुक्ति के लिए मान्य हैं। अब यह सूची 43 से बढ़ाकर 63 कर दी गई है। कार्मिक विभाग द्वारा जारी संशोधित सूची में शामिल किए गए 20 नए विषय हैं- बेसबॉल, बॉडीबिल्डिंग (पहले जिम्नास्टिक्स के एक हिस्से के रूप में शामिल किया गया था), साइकिलिंग पोलो, बधिर खेल, तलवारबाजी, कुडो, मलखंभ, मोटरस्पोर्ट्स, नेट बॉल, पैरा स्पोर्ट्स (पैरालिम्पिक्स और पैरा एशियन गेम्स में शामिल विषय), पेन्सकसिलाट, रोल बॉल, रग्बी, सेपकटाक्राव, सॉफ्ट टेनिस, शूटिंग बॉल, टेनपिन बॉलिंग, ट्रायथलॉन, टग-ऑफ-वॉर और वुशू। यह न केवल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में प्रदर्शन करने वाले खेल व्यक्तियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि देश में खेलों के समग्र विकास के लिए सकारात्मक वातावरण बनाने में भी मदद करेगा।
  3. सरकार ने29अगस्त 2020 को राष्ट्रीय खेल और साहसिक पुरस्कारों की सात श्रेणियों में से चार में पुरस्कार राशि बढ़ा दी। राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार की पुरस्कार राशि को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया है। अर्जुन अवार्ड को पांच लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है। द्रोणाचार्य (लाइफटाइम) अवार्ड, जिन्हें पहले पांच लाख रुपये दिए जाते थे, उन्हें अब नकद पुरस्कार के रूप में 15 लाख रुपये दिए जाएंगे। वहीं, द्रोणाचार्य (नियमित) अवार्ड के तहत को प्रति पुरस्कार पांच लाख के बजाय 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। ध्यानचंद पुरस्कार विजेताओं को 5 लाख के बजाय अब 10 लाख रुपये  लाख दिए जाएंगे। इससे खेल शख्सियतों का मनोबल बढ़ेगा और सकारात्मक माहौल भी बनेगा।
  4. सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने हाल ही में बताया कि प्रोटीन का एक विशिष्ट टुकड़ा गठिया के इलाज में मदद कर सकता है। यह जोड़ों में सूजन को कम करने के अलावा, ज्वाइंट हड्डियों को टूटने से भी रोकता है। यह प्रोटीन शरीर की संपूर्ण प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित नहीं करता है बल्कि गठिया के मामले में चुनिंदा रूप से ज्वाइंट हड्डियों को सुरक्षा प्रदान करता है। इस प्रोटीन को लिवर फ्लूक या परजीवी कृमि द्वारा फसीकोला कहा जाता है जो परजीवी को मारने के लिए एक रक्षात्मक रणनीति बनाने और भड़काऊ हमले को कम करके मेजबान प्रतिरक्षा प्रणाली से अपनी पहचान छुपाने में मदद करता है। इस प्रोटीन को फासिओला हेल्मिंथ डिफेंस मोलेक्यूल -1 (एफएचएचडीएम-1) कहा जाता है और यह मानव प्रोटीन के समान है जो उत्तेजक प्रतिक्रियाओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी समानता ने सीएसआईआर-सीडीआरआई शोधकर्ताओं को प्रोटीन की जांच करने और गठिया के इलाज में इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया। सीडीआरआई शोधकर्ता गठिया के उपचार में इस अध्ययन को एक महत्वपूर्ण सफलता के रूप में मान रहे हैं। हालांकि, क्लिनिकल उपयोग के लिए इस पेप्टाइड को विकसित करने के लिए भविष्य के अध्ययन आवश्यक हैं।
  5. आभासी मंच, पोर्टल, का नाम ‘प्रभाष’ है जिसका अर्थ है प्रकाश की एक किरण, और संक्षिप्त रूप “प्रवासी भारतीय शैक्षणिक और वैज्ञानिक संपर्क-मातृ भूमि के साथ भारतीय प्रवासी को एकीकृत करना” है। ‘प्रभाष’ को सभी प्रमुख वैज्ञानिक मंत्रालयों/विभागों और भारत के विदेश मंत्रालय के सहयोगात्मक प्रयासों के साथ निम्नलिखित विजन और उद्देश्यों के साथ विकसित किया जा रहा है:
  6. पोर्टल का लक्ष्य राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में भारत में समावेशी विकास को बढ़ावा देना, भारतीय नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए ग्लोबल इंडियन एसएंडटी समुदाय के साथ प्रभावी रूप से काम करना है।
  7. सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने दुनिया का सबसे बड़ा सौर वृक्ष विकसित किया है, जो सीएसआईआर-सीएमईआरआई आवासीय कॉलोनी, दुर्गापुर में लगाया गया है। सौर वृक्ष की स्थापित क्षमता 5 केडब्ल्यूपी से ज्यादा है और उसकी सालाना क्षमता 12,000-14,000 यूनिट स्वच्छ व हरित विद्युत पैदा करने की है। यह सौर वृक्ष ऊर्जा आत्मनिर्भर और कार्बन निगेटिव भारत बनाने की दिशा में बड़ी छलांग है। सौर वृक्ष में 35 सौर पैनल लगे हैं, जिसमें प्रत्येक की क्षमता 330 वाट की है। धातु के तारों से जुड़े सौर पैनल सौर बिजली पैदा करते हैं। इसमें हर साल वातावरण में जा रही 10-12 टन सीओ2 की बचत करने की क्षमता है। चूंकि सौर वृक्षों में छाया वाला क्षेत्र न्यूनतम है, इसलिए वे डीजल के विकल्प के रूप में खेतों में पम्प, ई-ट्रैक्टर और टिलर भी चला सकते हैं। इनसे मिलने वाली अतिरिक्त बिजली को ग्रिड को भेजा जा सकता है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ होगा।
  8. भारत में पहले परिसीमन आयोग का गठन1952 में किया गया। दूसरे परिसीमन आयोग का गठन1962 में, तीसरे का 1973 में और चौथे का वर्ष 2002 में किया गया था। 1971 की जनगणना के आधार पर –तीसरे परिसीमन आयोग के गठन का कार्य – वर्ष 1975 में पूरा हुआ था। वर्तमान परिसीमन, जैसा कि चौथे परिसीमन आयोग के गठन के समय किया गया था- 2001 की जनगणना पर आधारित था।
  9. संघ शासित जम्मू और कश्मीर और पूर्वोत्‍तर भारत के कुछ राज्यों में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन
  10. जम्मू और कश्मीर(पुनर्गठन) कानून, 2019लागू होने के बाद, पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य को दो संघ शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया है यानी जम्मू और कश्मीर विधानसभा क्षेत्र के साथ संघ शासित प्रदेश और विधानसभा के बिना संघ शासित प्रदेश लद्दाख। 2019-कानून की धारा 62 में अपेक्षित विशेष प्रावधान के अनुसार संघ शासित जम्मू और कश्मीर के निर्वाचन क्षेत्रों का विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में पुनर्व्यवस्थापन 2011की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन आयोग द्वारा किया जाएगा जिसका गठन 2019के कानून द्वारा संशोधित, परिसीमन कानून, 2002 के प्रावधानों के अंतर्गत होगा।
  11. इसलिए, 2019-कानूनमें निहित शासनादेश का पालन करते हुए और परिसीमन कानून, 2002 की धारा3 के प्रावधानों के अनुसार, केन्‍द्र सरकार ने 06 मार्च, 2020 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित एक अधिसूचना में संघ शासित जम्मू और कश्मीर और असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के लिए परिसीमन आयोग का गठन किया है।
  12. मतदाताओं के कुछ वर्गों को डाक मतपत्रों की सुविधा
  13. मौजूदा मतदान प्रणाली में वृद्ध व्‍यक्तियों, दिव्‍यांगों(पीडब्‍ल्‍यूडी) और ऐसे लोगों को छूट प्रदान की गई है जो अपनी सेवा शर्तों की बाध्‍यता के कारण मतदान के दिन मतदान केन्‍द्र में उपस्थित होने की स्थिति में नहीं हैं।जैसे उड्डयन क्षेत्र, रेलगाड़ी, जहाजरानी क्षेत्र, लंबी दूरी की सरकारी सड़क परिवहन/ निगम की बसों, अग्निशमन सेवाओं, चिकित्सा सेवाओं, यातायात, चुनाव की कवरेज के लिए अधिकृत चिकित्साकर्मी आदि जो इस उद्देश्य के लिए एक विशिष्ट फॉर्म भरकर डाक मतपत्र के माध्यम से अपने मताधिकार का उपयोग करना चाहते हैं। इस संबंध में, 22 अक्टूबर 2019 को भारत के राजपत्र में एक अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें चुनाव कराने के नियमों, 1961 में संशोधन करके मतदाताओं की पात्र श्रेणियों को ऐसी सुविधाएं प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। इसका पालन करते हुए 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता और विकलांग व्यक्ति अपना मत डाक मतपत्र से डाल सकते हैं। मतदान के दिन अपने निर्वाचन क्षेत्रों के बाहर अस्थायी ड्यूटी करने वालों को भी इसका लाभ मिलेगा।
  14. अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण और दस साल यानी25 जनवरी2030 तक जारी रखा जाए। सरकार ने संसद के समक्ष संविधान (एक सौ छब्बीसवाँ संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया, जिससे इस अवधि को आगे दस साल के लिए बढ़ाने का प्रावधान किया गया और संसद के दोनों सदनों द्वारा इसे पारित कर दिया गया और जनवरी, 2020 में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। उक्त विधेयक को संविधान (एक सौ चार) कानून 2020 के रूप में लागू किया गया था।
  15. ग्रामीणों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना ‘स्वामित्व’ (गांवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण) की शुरूआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल, 2020 को की। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणक्षेत्रों में स्थित घरों मेंरहने वाले लोगों को ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ उपलब्ध करवाना और संपत्तिधारकों को संपत्ति कार्ड प्रदान करना है।
  16. इस योजना का प्रारंभिक चरण का कार्यान्वयन वित्तीय वर्ष 2020-21 में महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के लगभग एक लाख गांवों में किया गया। इनके अलावा पंजाब और राजस्थान में 101 नियमित प्रचालन प्रणाली स्टेशन(सीओआरएस)स्टेशनों की स्थापना के साथ पंजाब और राजस्थान के कुछ सीमावर्ती गांवों को भी शामिल किया गया।इस प्रारंभिक चरण में चयनित सभी छह राज्यों में संपत्ति कार्ड/स्वामित्व विलेखका वितरण शुरू हो चुका है। साल 2023-24 तक बाकी सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में इस योजना को संचालित किया जाएगा।
  1. एक महत्वपूर्ण संस्थागत सुधार के रूप में मंत्रालय ने पंचायत खातों की ऑनलाइन लेखा परीक्षाओं के लिए 15 अप्रैल, 2020 को ऑडिट ऑनलाइन एप्लीकेशन को शुरू किया। ऑडिट ऑनलाइन न केवल लेखापरीक्षा करने बल्कि लेखापरीक्षा रिकॉर्ड को बनाए रखने की भी सुविधा देता है। इसके अलावा यह एप्लीकेशन लेखापरीक्षा पूछताछ, स्थानीय लेखापरीक्षा रिपोर्टों की मसौदा और लेखापरीक्षा पैरा की मसौदा आदि की प्रक्रिया को बेहतर बनाने की कोशिश भी करता है। ऑडिटऑनलाइन का एकमुख्य अनोखा पहलू यह है कि ये एक संपूर्ण विन्यास योग्य एप्लीकेशन है। इस एप्लीकेशन को राज्यों की लेखांकन प्रक्रिया प्रवाह के अनुरूप संशोधित/विन्यास किया जा सकता है, जिससे राज्य के लेखापरीक्षकों को ऑडिट ऑनलाइन के उपयोग से लेखापरीक्षाओं को आसानी से पूरा कर सकें।
  2. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अनुसूचित जाति के लिए वेंचर कैपिटल फंड के अंतर्गत “अम्बेडकर सोशल इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन मिशन” (असीम)का ईशुभारंभ किया (30 सितंबर, 2020)
  1. जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने “सक्षम छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से आदिवासियों के सशक्तिकरण” के लिए स्कोच गोल्ड अवॉर्ड प्राप्त किया
    ‘गोल’ कार्यक्रम फेसबुक के साथ साझेदारी में भारत के आदिवासी युवाओं केलिए डिजिटल स्किलिंग के लिए शुरू किया गया
    32. जनजातीय स्वास्थ्य और पोषण पोर्टल –‘स्वास्थ’ का शुभारंभ; राष्ट्रीय विदेशी पोर्टल और जनजातीय फैलोशिप पोर्टल खोला गया

 

 

 

 

One thought on “सरकारी प्रयास 2020- भाग 1

  1. Excellent post. I will be dealing with some of these issues as well.. Frank Aul

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